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DHYANACHARYA DR. AJAY JAIN RECEIVES "GURUMITRA SAMMAN 2021' FROM DIVINE HANDS OF ACHARYA 108 MUNISHREE SHRUT SAGARJI MAHARAJ.

Concept
Man has always been searching for new and innovative methods to better the way of living not only for himself but for the society at large. As mental growth happened and man became more aware of nature and surroundings, the time came to work on the Spiritual side of the person. A class of spiritual experts came into existence that got the knowledge of unknown and invisible through their ever expanding and universal approach. There were some enthusiasts who worked on conquering the ultimate.
The occult or mysterious part of life and beyond very much prevails and is able to cure many diseases which otherwise have no remedy. Our saints and spiritual masters discovered many systems, and alternative medicines to help needy. They are quite effective and are used even today.
Dhyanacharya Dr. Ajay Jain’s Divine Advice Service aims at curing people of their physical, mental and spiritual illness and creating awareness and an atmosphere in the society so that no more sickness prevails and all are physically fit, mentally strong and spiritually rich. May everyone be free of all worries and remains full of energy.
Dhyanacharya Dr. Ajay Jain has widely traveled all over India and almost all parts of world with his message of peace and health of all. He is well known all over and followed globally by many.
Dhyanacharya Dr. Ajay Jain is always personally available for all.
UPCOMING EVENT - Discourse and Meditation session

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31-07-2020
नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 के बाद से ही स्नातक शिक्षा तक विद्यार्थियों के लिये सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य करना चाहिये। आगे आने वाली पीढ़ी में देशप्रेम की भावना का निर्माण होना चाहिये और उसे भारत के उन वीर सपूतों के बारे में पता होना चाहिये जिनके बलिदानों के कारण वो स्वतंत्र और निर्भीक जीवन जी पा रहे हैं। यह शिक्षा विद्यालयों के मध्यम से प्रसारित की जानी चाहिये।
30-07-2020
लम्बे समय से जिसकी प्रतीक्षा थी, उस “नई शिक्षा नीति 2020” की कल शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषणा कर दी गयी I भारत में विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों में अलग अलग भाषाएं बोली जाती हैं ऐसे में क्षेत्रीय भाषा में पढ़ना एक सराहनीय कदम है I इसके साथ ही प्राथमिक स्तर पर हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को पढ़ना भी अनिवार्य करना चाहिए ताकि सभी भारतीय, चाहे वो किसी भी क्षेत्र या प्रांत से हों, एक दूसरे से एक ही सामान भाषा में वार्तालाप कर सकें और देश में एकता के भाव का आविर्भाव हो सके I
14-05-2020
मुनी प्रमाण सागर के बन्डा, सागर, म0 प्र0 में प्रवेश पर जैन समाज द्वारा भव्य स्वागत किया गया। आज के संकट काल मे जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा है और सामाजिक दूरी एक आवश्यकता है, ऐसे में जैन समाज का धार्मिक भावना में बहकर बाहर निकल आना निश्चित रूप से चिन्तनीय बात है। समाज के बाहर आने का जिम्मेदार प्रशासन भी है। जैन समाज को अपनी प्रतिष्ठा और छवि के अनुरूप आचरण करना चाहिये। ऐसे समय में जब जिनेन्द्रलय भी बन्द होने पर सभी घर पर ही वंदन कर रहे हैं तो फिर मुनी दर्शन की इतनी व्याकुलता क्यूं? विवेक और संयम के मार्ग का अनुसरण करना चाहिये।
12-09-2021
हे आनन्द स्वरुप आत्मन्,
“जब तक मोक्ष प्राप्त नहीं होता तब तक जन्म लेना आत्मा का नैसर्गिक कार्य है और देह का कार्य जीवन के माध्यम से आत्मा का सहयोग करना है”
आप में है सम्भावना “मोक्ष” पाने की और यही है ‘संभव धर्म’ का आज का ‘संभव सूत्र’
05-09-2021
हे आनन्द स्वरुप आत्मन्,
“जन्म और मृत्यु दो किनारे हैं जिनके बीच में जीवन रुपी नदी बहती है और जिसमें आप कर्मों की नाव खेते हैं और जन्म व् मृत्यु आत्मा के आवागमन के सुविधा मात्र होते हैं” आप में है संभावना “जन्म और मृत्यु” को जानने की और यही है ‘संभव धर्म’ का आज का ‘संभव सूत्र’
29-08-2021
संभव धर्म का आज का संभव सूत्र
हे आनन्द स्वरुप आत्मन्,
“अहंकारी दूसरों का निरादर करने से भी नहीं चूकता और सदैव उग्र रहता है वहीँ विनयशील पुरुष सभी से शिष्ट व्यवहार करता है और “शांत चित्त” रहता है” आप में है सम्भावना “शांत चित्त” रहने की और यही है ‘संभव धर्म’ का आज का ‘संभव सूत्र’
22-08-2021
संभव धर्म का आज का संभव सूत्र
हे आनन्द स्वरुप आत्मन्,
“कर्म फल भाग्य के माध्यम से मिलता है और भाग्य का काल आत्मा के काल जितना है किन्तु शरीर की आयु सीमित है] इसीलिए ज्ञानी पुरुष देह के काल में पुरुषार्थ करता है” आप में है सम्भावना “ज्ञानी” होने की और यही है ‘संभव धर्म’ का आज का ‘संभव सूत्र’
15-08-2021
संभव धर्म का आज का संभव सूत्र
हे आनन्द स्वरुप आत्मन्,
“जिस प्रकार भ्रष्ट नेता राष्ट्र को नष्ट कर देता है उसी प्रकार व्यक्ति का असंयमित आचरण समाज को कष्ट देता है और उसका भाग्य भी उससे रुष्ट हो जाता है” आप में है सम्भावना “संयमित आचरण” करने की और यही है ‘संभव धर्म’ का आज का ‘संभव सूत्र’
08-08-2021
संभव धर्म का आज का संभव सूत्र
हे आनन्द स्वरुप आत्मन्,
“सजगता से किये जाने वाले कर्म समय से पूर्ण होते हैं और आनंद की अनुभूति देतें है तथा साथ ही ऐसे कर्मों का फल भी उत्तम होता है” आप में है सम्भावना “उत्तम फल” पाने की और यही है ‘संभव धर्म’ का आज का ‘संभव सूत्र’

